तृतीय विश्व युद्ध का आगाज - रशिया युक्रेन वार

रूस युक्रेन युद्ध


रशिया युक्रेन एक ऐसा विषय है, जो आजकल हर किसी की जुबान पर छाया हुआ है, भूतपूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे युक्रेन पर आखिर परमाणु शक्ति सम्पन्न देश रूस रशिया इतना आक्रामक रूख क्यो अपना रहा है, आखिर वजह क्या है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मची इस हलचल की जो जिससे पुरा विश्व प्रभावित हो रहा है, जानने का प्रयास करते है। 

कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहा यह छोटा सा देश, रशिया के लिए सामरिक महत्व का देश है,इस देश की सीमा रशिया से जुड़ी है।

रूस अमेरिका शीत युद्ध


शिया तथा अमेरिका की वर्चस्व की लङाई से पूरा विश्व वाकिफ है, इस प्रतिस्पर्धा का परिणाम चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के रूप मे आज भी उत्तरी युक्रेन मे स्थित है
 शायद उसी दुर्घटना के कभी न भरने वाले घाव को याद करके युक्रेन ने कभी भी परमाणु शक्ति सम्पन्न बनने का प्रयास नही किया ,फिर क्या वजह है कि युक्रेन जैसे देश को रशिया को परणामु हमले की धमकी देने पङ रही है, वजह है रूस की आंतरिक सुरक्षा । 

हाल ही मे युक्रेन का युरोपीय देशो के संगठन नाटो से बढता जुडाव रूस के लिये चिन्ता का सबब बन गया था, युक्रेन की भौगोलिक स्थिति किसी भी तरह की आपात स्थिति मे, युरोपीय देशो को रशिया को निशाना बनाने मे सहायता करती।
 
अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर लाईन है, हम अपने दोस्त बदल सकते है, पडोसी नही - युक्रेन को नाटो प्रेम तो जग जाहिर है तथा नाटो देशो की रशिया से प्रतिस्पर्धा भी। अतः यह युद्ध रशिया की आन्तरिक सुरक्षा नीति का परिणाम है, बहत से लोग इसे द्वितीय विश्व युद्ध का आगाज बोल रहे है, पर मुझे इसकी उम्मीद कम हीं लग रही है, 24 फरवरी से शुरू हुए ताकतों  हमलो के बाद अभी तक स्पष्ट तौर पर कोई भी ऐसा देश युक्रेन के समर्थन मे सामने नही आया है, अगर सैन्य शक्ति की बात की जाये तो युक्रेन रशिया के सामने ज्यादा दिनो तक टिक नही पायेगा, तथा अमेरिका, फ्रांस ,चीन , भारत जैसे शक्ति सम्पन्न देश ने तटस्थ रवैय्या अपना रखा है। ऐसे मे बिना अन्तराष्ट्रीय  व सैन्य सहयोग के युक्रेन के ज्यादा दिनो तक टिके रहने की उम्मीद कम है, 

रूस युक्रेन मे सुलह करवाने के उपाय

 इस विभीषिका मे तीन उपाय हो सकते है पहला अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसा चल रहा है चलने दे, हस्तक्षेप न करे,

 दूसरा संगठन युक्रेन की मदद के लिये सामने आये, किन्तु उससे यह विभीषिका वाकई मे एक विश्व युद्ध का रूप ले लेगी जिसे अभी टाला जा सकता है, 

तीसरा उपाय है इस मसले को कूटनीतिक रूप से सुलझाना जिसका प्रयास अंतर्राष्ट्रीय मंच रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगा कर कर रहे है, पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से रूस से युक्रेन मे हो रही तबाही को रोका जा सकता है, वहा हुई जन धन की हानि की भरपाई हो जायेगी ?

भारत शुरू से इस युद्ध को टालने का प्रयास कर रहा है, निसंदेह रूस द्वारा युक्रेन मे फैलाई जा रही तबाही गलत है उसका विरोध होना चाहिये, किन्तु भारत की विदेश नीति मे किया गया रुस का सहयोग उसे खुलकर युक्रेन का पक्ष लेने से रोक रहा है, अतः भारत का रूख पूर्णतः संतुलित होना आवश्यक है, 

यह युदध को तीसरे विश्व युद्ध के रूप मे देखना मेरे हिसाब से जल्दबाजी होगी क्योकि युक्रेन जैसा देश रूस  के सामने ज्यादा दिन तक टिक नही पायेगा युद्ध की इस अग्नि मे सर्वाधिक कोई जल रहा है तो वो है युक्रेन की आम जनता तथा वहा का जन जीवन , आर्थिक रूप से सम्पन्न देश की जनता को अपना समय बंकर मे बिताना पङ रहा है,अगर युद्ध की विभीषिका आज भी रूक जाती हे, तो भी इन हालात को सुधरने मे सालो का समय लग जायेगा, किसी इमारत को बनने मे समय लगता है गिरने मे नही, इसलिये भविष्य मे शीत युद्ध जैसे हालात को टालने का प्रयास करना चाहिये, और युद्ध की विभीषिका से बचने का प्रयास करना चाहिये

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