चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना (chernobyl nuclear disaster)

आधुनिक युग मे विज्ञान का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है, विज्ञान की कुछ खोज तो हमारे लिये इतनी जरूरी हो गयी है कि उनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते , जैसे कि बिजली ,  यातायात और हमारी सबसे नयी अनिवार्य आवश्यकता बनी है इन्टरनेट आधुनिक युग मे विज्ञान का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है, विज्ञान की कुछ खोज तो हमारे लिये इतनी जरूरी हो गयी है कि उनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते , जैसे कि बिजली ,  यातायात और हमारी सबसे नयी अनिवार्य आवश्यकता बनी है इन्टरनेट जिससे हम लोग एक दूसरे से कनेक्ट है

लेकिन  विज्ञान जहा वरदान है वही ये अभिशाप भी है, इस दुनिया मे कोई भी चीज बेकार नही है बस ये उसका इस्तेमाल करने वाले पर है कि वो उसे वरदान बनाता है या अभिशाप, इसका सबसे जीता जागता उदाहरण है रेडियो एक्टिविटी, रेडियोधर्मिता की खोज करने वाले वैज्ञानिक पियरे क्यूरी और मेरी क्यूरी को जब 1903 का नोबेल अपनी जिस खोज के लिए मिला था, उन्होने कभी नही सोचा होगा की उनकी यही खोज जिससे वो केन्द्र का इलाज करना चाहत थे, लाखो लोगो को पीढियो तक न भरने वाला जख्म दे देगी,

उनकी यही खोज पहले, हिरोशिमा नाग और बाद मे चेर्नोबील डिजास्टर की वजह बन जायेगी, अगर उन्हे पता तो शायद वो अपनी इस खोज को दुनिया के सामने कभी लाते ही नही, मानव इतिहास के सबसे भयानक परमाणु हादसे के बारे मे आज हम बात करेंगे, क्यो ये हादसा हुआ , क्या इसे रोका जा सकता था, और आज वहा पर क्या हालात है,

1991 मे हुए सोवियत संघ के विघटन से पहले, सोवियत संघ महाशक्ति बनने मे अमेरिका का सबसे बङा प्रतिद्वन्द्वी था, इन दोनो देशो मै एक दूसरे से आगे निकलने की हो लगी रहती थी, ऐसे मे ussr govt ने नये शहर बसाने का फैसला किया जिनमे से एक था प्रिपयात , जो कि पुर्णतः परमाणु ऊर्जा आधारित शहर था, जो आज युक्रेन के उत्तरी भाग मे स्थित है, USSR govt ने बढ चढकर इस शहर मे इन्वेस्ट किया था, यहा पर विश्व स्तर के स्कूल कालेज, अस्पताल, अन्यायपूर्ण पार्क बनाये गये थे, जो कि सोवियत संघ सरकार की महत्वकांक्षा को दिखाता था,  लोग यहा आकर बस रहे थे और बहुत खुश भी थे लेकिन कई बार जो होता है वो हमारी कल्पना से परे होता है,


प्रिपयात शहर पूर्णतः परमाणु ऊर्जा पर आधारित था, सोवियत संघ सरकार को इस शहर की सुरक्षा की चिन्ता भी थी इसीलिये उन्होने OTH राडार सिस्टम भी तैनात किया था, जो किसी हमले की स्थिति मे आने वाली मिसाईल को हवा मे गिरा दे, इतनी तेजी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी ये हादसा हो गया , प्लाट 1983 मे ही पूरी तरह से सक्रिय हो चुका था

गौरतलब है की चेर्नोबिल दुर्घटना एक सुरक्षा परीक्षण के दौरान हुई लापरवाही का नतीजा था 26 अप्रैल 1986 की रात को प्लाट के इनचार्ज इन्जीनियर जिनकी उम्र मात्र 26 साल थी, ने एक टेस्ट करने का सोचा, की अगर कभी प्लाट मे पावर फेल्योर की सिचुएशन आ जाये तो क्या प्लाट का सिक्युरिटी सिस्टम ठीक से काम करेगा, ये हादसा ईसा परीक्षण के दौरान रिएक्टर आउट आफ कन्ट्रोल हो गया, प्लाट की युनिट 4 मे एक बङा धमाका हुआ जिससे दो लोग की मौके पर ही मौत हो गयी लेकिन ये तो सिर्फ शुरूवात थी, असली त्रासदी की।


सोवियत संघ का परमाणु संयंत्र का डिजाईन सुरक्षा मानको को पुरा नही करता था, ये आकस्मिक स्थिति मे रेडिएशन को रोकने मे असमर्थ था , जैसे की आजकल के रिएक्टर होते है, इस हादसे मे लगभग 100 मेट्रिक टन रेडियो एक्टिव पदार्थ आसपास के इलाके मे फैलाई गया, USSR सरकार अभी तक इस दुर्घटना की भयावहता से अनजान थी, आनन फानन मे स्थानीय प्रशासन  द्वारा लीपापोती का प्रयास किया गया, फायर फाइटर जो आग को साधारण आग समझ कर बिना सुरक्षा के उसे बुझाने गये उनका अत बहुत ही दर्दनाक हुआ,

जब रेडिएशन मानव शरीर के सम्पर्क मे आता है तो वो उसके डी एन ए को ही बदल देता है, जो भी रेडिएशन के सम्पर्क मे आया वो त्वचा के कैसर जैसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हो गया, और उनकी वाली की पीढिया विकृत पैदा हुई।



     

सोवियत संघ सरकार को इस हादसे की गम्भीरता का अन्दाजा तब हुआ जब रेडिएशन रशिया से 1000 किलो मीटर दूर स्वीडन पहुच गया, और पूरे विश्व मे इस हादसे के बारे मे अफवाह फैलने लगी । रशियन मिलिट्री को रेस्क्यू आप्रेशन के लिए लगाया गया , उन्होने इस संयंत्र से फैलने वाली रेडिएशन को रोकने के लिए इसे रेत से ढकने के प्यास मे इस 150 टन रेत डाली, पर इस प्रयास को तत्कालीन रूसी परमाणु वैज्ञानिक ने हाथी को लात मारने जितना प्रभावी बताया, इस संयंत्र को शांत करने के लिए 5000 टन रेत की आवश्यकता थी, रशिया सरकार ने बचाव अभियान मे 15 बिलियन डॉलर खर्च किये, जिसमे से ज्यादातर युनिट को 4 से निकल रही रेडिएशन को रोकने मे लगा, इतनी उम्मीद के साथ बसाया गया शहर हमेशा के लिए उजङ गया, क्योकि अब आने वाले 20000 सालो तक प्रिपयात शहर रेडिएशन की चपेट मे रहेगा।

26 अप्रैल 1986 के उस हादसे के बाद  शुरू हुए राहत कार्य आज तक चल रहे है, 2016 मे चेर्नोबिल के युनिट 4 के ऊपर एक ढांचे का निर्माण हुआ है जो रेडिएशन को फैलने से आने वाले 100 सालो तक रोकेगा , इससे पहले इस संयंत्र के ऊपर एक अस्थायी ढाचा बनाया गया था, जो रेडिएशन को एक सीमित क्षेत्र मे बेध कर रख रहा था, 100 साल हमारे लिए ज्यादा हो सकते है पर परमाणु ऊर्जा के लिए ये समयावधि बहुत छोटी सी है, अतः हमे ये प्रयास करना चाहिये की अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हालात चाहे जो भी हो , उन हालातो का हल कभी भी परमाणु ऊर्जा के माध्यम से न खोजा जाये, चेर्नोबिल उदाहरण है आने वाली पीढीयो के लिए, कि क्यो परमाणु ऊर्जा के प्रयोग मे अत्यधिक संयम की आवश्यकता है।

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