किंगडम ऑफ सऊदी अरेबिया की शहजादी

 किंगडम ऑफ सऊदी अरेबिया दुनिया का एक वाहिद सुन्नी मुल्क है जो अमेरिकन एलाय है ।

यह मुल्क अपने बेहद कड़े मजहबी कायदे कानून को ले कर काफी आलोचना का सामना करते रहा है



मगर हाल के कुछ सालों में जब से प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के भावी बादशाह बनने की घोषणा की गई है , हालात काफी बदले हैं ।

इसकी सीधी मिसाल है हाल ही में सऊदी अरब ने महिलाओ पर से काफी पाबंदियां हटाई हैं , मजहबी पुलिस की पेट्रोलिंग भी हटाई है जो यह दिल्ली थी कि रेस्त्रां में गाना बजाना न हो और शराब न परोसी जाए ।

मगर सबसे हैरत एंगेज बात है कि पिछले दिनों ही वहां सरकार ने रेव पार्टी का आयोजन किया था । इस पार्टी के पौने दो लाख के करीब लोग शामिल हुए यह पार्टी चार दिन चले MDL Beast Soundstorm festival का हिस्सा थी । यह फेस्टिवल सऊदी राजधानी रियाद के बाहर हुई थी ।

इसके पहले भी जेद्दा में हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में खुलापन और मुक्त माहौल देखने को मिला जहां महिलाओ के बगैर हिजाब के खुले बाल रख कर बगैर किसी महरम ( पुरुष साथी ) के खुले आजाद घूमते पाई गई ।

कई LGBTQ भी इस फिल्म फेस्टिवल और रेव पार्टी में शामिल हुए और जाम खड़काते दिखाई दिए। ।

सऊदी अरब जैसे रूढ़ीवादी मुल्क में कुछ साल पहले ऐसा होने की कल्पना करना भी मुश्किल था ।

सऊदी में भी भारत की तरह सुन्नी मुसलमानों की अक्सरियत है मगर वहां के बाशिंदे भारतीय मुसलमानों के बनिस्बत अधिक प्रगतिशील और समझदार जान पड़ते हैं ।

हमारे देश में तो हिजाब पहनने से रोकने पर कथित उदारवादी और प्रगतिशील माने जाने वाले लोगों का रोना चिल्लाना शुरू हो जाता है ।

कुछ भारतीय लिब्रल लोगों की पैठ गहरे पानी में है , नई खोज करने के मामले में वह शेख इब्नेबतुता को भी पीछे छोड़ देते हैं ऐसी ही नई खोज है कि उनके मुआशरे की लड़कियों और खातूनों का हिजाब पहनना उतना ही सही है जितना भारत की बहुसंख्यक महिलाओं का घूंघट करना ।

वाकई यह हैरत एंगेज है क्योंकि सऊदी अरब की महिलाए तो ऐसी पिछड़ी सोच नहीं मानती ।

अब सऊदी की इस शहजादी को ही देख लो ।



यह मोहतरमा है शहजादी अमीरा अल ताविल । कितना मीठा नाम है इनका और नाम से कहीं मधुर और खूबसूरत इनका चेहरा , अदभुद सुंदरता और नैन नक्श ।




बचपन में दूरदर्शन वाल्ट डिज्नी की सीरीज आई थी अलादीन उसमे प्रिंसेज जास्मिन का किरदार था आपको शहजादी अमीरा को यूं मुस्कुराते देख लगेगा मानों परिकथा की शहजादी ही जमीन पर उतर आई है ।

मैं अमूमन महिलाओ पर जवाब नहीं लिखता मगर प्रिंसेज अमीरा की सुंदरता अपने आप में मिसाल हैं । यहां भारत में वह आएंगी तो जब तक मुंह न खोलें कोई इनको देख कर यह अंदाजा नहीं लगा सकेगा कि यह भारतीय नहीं हैं ।

मगर अपने यहां तो हिजाब और बुर्के के खिलाफ बात करने पर संकुचित मनोवृत्ति का लेबल चिपकाया जाता है और हिजाब और बुर्के को पहनना मजहबी अधिकार माना जाता है । क्या ही कहें ऐसे रवैए को ?

हम तो प्रिंसेस अमीरा अल ताविल को देख कर बस ठंडी आहें ही भर सकते हैं ।

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