क्या इजरायल के आक्रमण से ईरान के इरादें बदल जाएँगे?

 तीन चार साल में ईरान फ़िर से वहीं पहुँच जाएगा। वो फ़िर से न्यूक्लियर कैपेबिलिटी rebuild करेगा। न्यूक्लियर हथियार वो चीज़ है कि किसी भी देश के देशवासियों में इसको लेकर गौरव की बात आने लगती है। हमारे पास भी है ये ताक़त हम कोई ऐसे वैसे नहीं है ये Refrain आपको मिलेगा। ईरान की मौज़ूदा लीडरशिप को वहाँ की जनता का सपोर्ट और बढ़ जाएगा।




ईरान के बारे में हम कहते हैं कि वो Ideology-driven है। उसकी विदेश नीति Messianic है। धार्मिक रूप से जुनूनी है। इसलिए ये ख़तरा है।

लेकिन—

  1. कम्युनिस्ट चीन भी Ideology-driven है तो उसकी न्यूक्लियर ताक़त क्यों ख़तरा नहीं है।
  2. पाकिस्तान भी Ideology-driven ही है कलमे की बुनियाद वाला
  3. नार्थ कोरिया भी कम क्रेजी नहीं है।

इजराइल के ख़ुद के पास 500 के आसपास न्यूक्लियर हथियार है और उनको बख़ूबी डिलीवर करने की काबिलियत भी तो डर किस बात का?

ईरान की तरफ़ से कुछ ग़लतियाँ हैं जो इस तरह के हालात पैदा कर रही है—

  1. इजराइल को दुनिया के नक्शे से मिटाने की बात
  2. हेज़बुल्लाह को सहायता
  3. हमास को सहायता
  4. टर्की की तरह चौधरी बनने का कीड़ा

अगर पहले तीन फैक्टर ना होते तो शायद इजरायल द्वारा हमला न होता ।

और ये जो ईरानी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना में रोज़ अमेरिका को Satan कहना, मर जाए , मिट जाए ये मूर्खता है इससे होना कुछ नहीं है सिवाय रुसवाई के। ईरान को एक डायलॉग शुरू करना चाहिए और पहला कदम इजराइल में ईरानी दूतावास खोलकर ये होना चाहिए। फ़िर ये किसी भी देश को Destabilise करने की कोशिश जैसे हमास को हेल्प बंद होनी चाहिए। अगर कोई ये मानता है कि फिलिस्तीनियों का आज़ादी का संघर्ष है तो उन्हें सिर्फ़ मोरल सपोर्ट तक ये सीमित होना चाहिए ये नहीं कि ये लो मिसाइलें और फेंक दो। यही कश्मीर के केस में पाकिस्तान को करना चाहिए सिर्फ़ मोरल सपोर्ट अगर हथियार देकर आतंकियों को भेजोगे तो कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।

लेकिन आक्रमण कोई हल नहीं देगा। न्यूक्लियर डील पर जोर देने की ज़रूरत नहीं। ज़रूरत उसको Engage करने की है न कि Isolate करने की। आक्रमण से ईरान को तबाह करके हो सकता है हालात और बिगड़ जाए। अब भले ही ईरान के 300 के आसपास नागरिक मारे गए लेकिन 20–30 ही सही नुक़सान तो इसराइल को भी हो रहा है। अब आँखों में ख़ून उतार कर तो हर समस्या का हल नहीं निकल सकता।

कोई टिप्पणी नहीं

इसराइल: साहस, रणनीति और अस्तित्व की मिसाल 🌍

  2025 के इसराइल-ईरान संघर्ष ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया कि  छोटे आकार वाला देश भी जब इच्छाशक्ति से भरा हो, तो किसी भी महाशक्ति को झुक...

Blogger द्वारा संचालित.