पंडित जवाहर लाल नेहरू - देश पर थोपे गए प्रधान मंत्री ? (Pt. Jawahar lal nehru - A undeserving Prime Minister ?)
अप्रैल 1946 का महीना भारतीयों के लिए एक नयी सुबह लेकर आया था,ब्रिटिश सरकार ने भारतीयो को स्वतंत्रता देना स्वीकार कर लिया था, पर उनकी शर्त थी कि भारतीयों को अंतरिम सरकार गठित करनी पड़ेगी, कांग्रेस वर्किंग कमिटी का मुखिया ही स्वतंत्र भारत का पहला प्रधान मंत्री बनने वाला था, शायद भारत में जनादेश के उल्लघन की परम्परा यही से शुरू हुई थी, जब 15 में से 12 प्रांतीय समितियों के समर्थित सरदार को छोड़कर पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधान मंत्री बनाया गया, जिनका नाम तक प्रस्तावित नहीं था,
नेहरू को महात्मा गाँधी की व्यक्तिगत पसंद के कारण प्रधान मंत्री बनाया गया,जबकि सरदार पटेल ज्यादा अनुभवी व ज़मीन से जुड़े नेता थे, राजेंद्र प्रसाद जैसे कुछ कांग्रेसी नेताओ ने खुलकर ये बात कही थी की गांधी ने ग्लॅमरस नेहरू के लिए अपने विश्वसनीय साथी का बलिदान दे दिया,
नेहरू का प्रारंभिक जीवन
14 नवम्बर 1889 को उत्तर प्रदेश के प्रयोगवाद मे जन्म पण्डित नेहरू का जन्म एक अत्यंत समृद्ध परिवर्तन मेहता था। स्वतंत्रता संग्राम के समय भी नेहरू ने शायद ही अन्य जमीनी स्तर के सेनानियो के जैसी कोई यातना झेली हो ।
स्वतंत्रता संग्राम व नेहरू
वीर सावरकर , भगत सिह, लाला लाजपत राय जैसे अनेक उदाहरण है जिन्होने स्वतंत्रता के लिये अनेक यातना सही थी, पर नेहरू के सम्बन्ध मे ऐसा कोई प्रमाण नही मिलता है, कुछ लोगो का तो यहा तक कहना है कि उनके परिवार के अंग्रेजो से सम्बन्ध इतने अच्छे थे, कि उन्हे जेल मे हर तरह की सुविधाए उपलब्ध करवायी जाती थी। अतः आज के समय मे की लेखक ये बोलने लगे है कि पण्डित नेहरू को प्रधान मंत्री महात्मा गाधी ने अपनी निजी पसंद के आधार पर बनाया था, जो कुछ हद तक सही भी लगता है।
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