ब्रम्हास्त्र असफल क्यो हुई, समीक्षा (brahmastra review)
अयान मुखर्जी की much awaited film brahmastra आज release हो गयी , पर इस फिल्म को देखने के बाद मुझे लगता है अयान को इसे डिब्बा बंद कर देना चाहिये था,
रणबीर कपूर इस फिल्म मे हैरी पाटर की घटिया नकल लग रहे है, क्योकि हैरी पाट्र्स की आखो मे मासूमियत थी। जो उसके किरदार को गहराई देती थी पर यहा वो बात नही लगी। एक नजर मे ही आलिया के पीछे रणबीर का पङ जाना, अजीब लगता है।
आलिया को हर सीन मे जबरदस्ती घुसेङा गया है, अगर वो जरूरत के मुताबिक screen space लेती तो शायद कहानी नजर आती, फिल्म को देखकर लग रहा है जैसे आलिया ने धर्मा को वार्मिग दी हो कि मुझे हर सीन मे नही डाला तो फिल्म आधे मे छोङ दुगी।
फिल्म ये जवानी है दीवानी की फील दे रही थी जिसमे जबरदस्ती हैरी पाटर avengers, जैसी हालीवुड मूवीज का cocktail बनाया गया है,
फिल्म के भारी भरकम बजट का कोई हिस्सा कहानी डायलाग या research पर खर्च नही किया गया, वर्ना सब जानते है कि hindu mythology का सबसे खतरनाक शस्त्र पाशुपतास्त्र है ।
जिसको धारण करने का सामर्थ्य शिव तथा अर्जुन के अलावा किसी मे नही था, ये फिल्म सिर्फ बच्चो का लेजर शो है क्योकि hindu mythology के नाम पर प्रचारित इस फिल्म का हिन्दु myth से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है।
सबसे ज्यादा निराश किया फिल्म के क्लाईमैक्स ने, जिसमे तथाकथित ब्रम्हास्त्र को प्यार की ताकत ने शान्त कर दिया, अगर यही करना था तो शाहरूख और नागार्जुन के किरदार को क्यो मरवाया गया, अश्वत्थामा नाम का पौराणिक किरदार आज तक ब्रम्हास्त्र के श्राप को झेल रहा है, आखिर मेकर्स दिखाना क्या चाहते थे, ये फिल्म astraverse कम रणबीर आलिया का pre wedding shoot ज्यादा लग रही थी।
अत मे हम यही कहना चाहते है कि नाम बदलने से फिल्म की आत्मा नही बदलती, ये एक fantasy movie थी जिसको सनातन का चोला पहनाने की कोशिश मे makers बुरी तरह नाकाम रहे, बेहतर होता कि वो इसका नाम ड्रैगन ही रहने देते, तथा मुख्य किरदार को रूमी ही रहने देते, क्योकि ये कहानी खजाने की खोज जैसी है और किसी भी तरह से सनातन की मान्यता से मेल नही खाती है।
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