लंकापति रावण महानतम शिवभक्त या दैत्यो का राजा
रामायण का खलनायक रावण
रामायण के सभी पात्र चाहे वो नकारातमक हो या सकारातमक, अपनी एक विशेषता लिये हुए है, चाहे वो राम हो रावण, हनुमान हो या विभीषण, लक्ष्मण हो या कुम्भकर्ण। सीता हो या मन्दोदरि । हर एक किरदार अपने आदर्शो तथा कर्तव्य पालन के कारण भारत के जन जन के लिये अमर हो गया । 1987 का रामानन्द सागर का कालजयी धारावाहिक जब दूरद्रशन पर प्रसारित हुआ तो इसने सफलता का कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
रामायण के सभी किरदारो मे सर्वाधिक चर्चित फिर भी अनछुआ अगर कोई किरदार है, तो वो लंकापति रावण का किरदार है, चारो वेदो का ज्ञाता , महानतम ज्योतिष तथा तात्रिक , परम शिव भक्त लंकापति रावण का किरदार अपने आप मे रहस्यमयी है, आखिर क्यो विश्रश्रवा के वंशज इस परम ज्ञानी ब्राम्हण को असुरो के राजा की उपाधि मिली, क्यो इतिहास के बाकि खलनायको के विपरीत, उसके अतिम समय मे भगवान राम ने अपने अनुज को इनके पास ज्ञान लेने भेजा, शिव को अत्यधिक प्रिय स्तुति शिव ताडव स्त्रोत इनकी ही रचना है। और अत मे भगवान राम का परम शत्रु होते हुए इनका राम सदैव राम के साथ लिया जाता है। रावण को इतिहास का महानतम खलनायक माना जाता है, एक ऐसा खलनायक जिसका पुतला आज भी प्रतिवर्ष बुराई के प्रतीक के रूप मे जलाया जाता है, चारो वेदो तथा शास्त्रो का ज्ञाता तथा महानतम शिव भक्त लंकाधिपति दशानन रावण एक महानतम ज्योतिष तथा विद्वान था।
रावण का जन्म
रावण का जन्म एक महान ब्राम्हण कुल मे हुआ था, इनके पिता श्रषि विश्रश्रवा तथा माता असुर कुल की थी, धन के देवता कुबेर रावण के सौतेले भाई थे, रावण , कुम्भकर्ण, शूर्णपंखा तथा विभीषण ये चार भाई थे
रावण का पूर्व जन्म
ऐसा माना जाता हे कि रावण पूर्व जन्म मे भगवान श्री हरि का द्वारपाल था, वह भाई समेत उनकी पहरेदारी करता था, जिसका उसे अभिमान हो गया था, जिसके परिणाम स्वरूप उसने ब्रम्हपुत्र सनत कुमारो को भगवान के दर्शन करने से रोक दिया,
लंका मे रावण का अस्तित्व
भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहा उत्तर भारत मे रावण को जलाया जाता है, वही दक्षिण भारत के कई हिस्सो मे रावण की पूजा की जाती है, लंका मे भी रावण की पूजा का प्रचलन है, वहा एक महान शासक के रूप मे उसको जाना जाता है, जिसके शासन काल मे लंका की प्रजा सुखी तथा समृद्ध थी।
रावण आज भी अपनी शासन निपुणता के लिये लंका मे पूजित है। रामायण मे युद्ध के समय अपनी प्रजा की सुरक्षा को लेकर रावण को की बार नीविया बनाते देखा जा सकता है।
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