समान नागरिक संहिता

 समान नागरिक संहिता 

मान नागरिक संहिता का अर्थ एक समान  कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी पंथ क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।

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यह एक ऐसी सोच है जिसमे किसी देश में रहने वाले हर नागरिक को एक सामान अधिकार प्राप्त होते है. 


समान नागरिक संहिता - कितना आवश्यक 


भारत संविधान सबको एक समान अधिकार देता है। यह बात हम सबने सुनी होगी किन्तु जब् हम बारीकी से संविधान का अध्ययन करते है तो हमे यह समझ आता है की जमीनी स्टार पर बात सच नहीं है. चाहे वो अनुसूचित जाती जनजाति से सम्बंधित अनुसूचित जाती जनजाति निवारण अधिनियम हो या मुस्लिम नागरिको के लिए देश में चलने वाला शरिया कानून हो. आखिर क्यों एक देश के नागरिक होने इ बावजूद हमारे लिए कानून अलग है इसी विवाद से शुरू होती है कहानी यूनिफार्म सिविल कोड की. एक समानं नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जिसकी मान देश के अलग अलग हिस्सों से बार बार उठती रही है. इसको लेकर कई बार विवाद भी हुए है. 


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