नारायण मूर्ति की सफलता की कहानी Narayana Murthy Success Story
नारायण मूर्ति की जीवनी | Narayana Murthy Biography In Hindi
नागवार रामाराव नारायण मूर्ति साधारणतः नारायण मूर्ति के नाम से जाने जाते है जो भारतीय आईटी उद्योग के उद्योगपति और इन्फोसिस के सह-संस्थापक है. मूर्ति का नाम फार्च्यून पत्रिका के दुनिया के सबसे महान 12 उद्योगपतियो की सूचि में भी शामिल किया गया. भारत के आईटी क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए टाइम्स पत्रिका में उन्हें भारतीय आईटी का जनक भी कहा गया. मूर्ती को भारत सरकार ने पद्म भुषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया.
![]() |
Narayan murti family |
नागवार रामाराव नारायण मूर्ति जो की नारायण मूर्ति के नाम से जाने जाते हैं भारतीय आईटी उद्योग के उद्योगपति और इन्फोसिस के सह-संस्थापक है। नारायण मूर्ति विदेशों मे भारतीय कम्पनियों का झन्डा ऊँचा करने के एक प्रेरणा के स्त्रोत बन चुके है | चलिए जाने Infosys Cofounder Nagavara Ramarao Narayana Murthy Real Life Inspirational Success Story को थोड़ा विस्तार से
Nagavara Ramarao Narayana Murthy के निजी और प्रारंभिक जीवन की कहानी
Nagavara Ramarao Narayana Murthy के निजी और प्रारंभिक जीवन की कहानी
नागवार रामाराव नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 में कर्नाटक के कोलर जिले के सिद्लाघत्ता ग्राम में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था । उनके परिवार में 8 भाई और 1 बहन है | उनके पिताजी एक स्कूल शिक्षक और चाचा नागरिक सेवक के रूप में कार्य करते थे |
![]() |
Narayan murti infosys |
Nagavara Ramarao Narayana Murthy के कैरियर की कहानी
नारायण मूर्ति ने अपनी करियर की शुरुवात अहमदाबाद में आईआईएम का चीफ सिस्टम प्रोग्रामर बनकर की. वहा वे भारत के पहले शेयरिंग कंप्यूटर सिस्टम पर काम कर रहे थे और भारत के इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन के लिए BASIC (बेसिक) इंटरप्रेटर को डिजाईन कर रहे थे. बाद उन्होंने एक कंपनी शुरू की जिसका नाम सोफ्ट्रोनिक था. लेकिन जब सिर्फ देड साल में ही कंपनी असफल हुई, तो वे पुणे के पत्नी कंप्यूटर सिस्टम में भर्ती हुए.
![]() |
Narayan murti with sudha murti |
नारायण मूर्ति / Narayana Murthy और उनके जैसे ही छह सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स ने 1981 में इन्फोसिस की स्थापना की, जिसमे उस समय उन्होंने अपनी कंपनी में 10000 रुपयों की पूँजी लगायी थी, यह पूँजी उन्हें उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने दी थी. मूर्ति ने 21 सालो तक 1981 से 2002 तक इन्फोसिस की सीईओ बनकर सेवा की और बाद में उन्होंने नंदन निलेकनी को अपने पद का उत्तराधिकारी बनाया. इन्फोसिस में काम करते समय उन्होंने भारतीय आईटी के विकास के लिये वैश्विक स्तर पर चलने वालो मॉडल्स का निर्माण किया. 2002 से 2006 तक वे बोर्ड के चेयरमैन थे, बाद में वे बोर्ड और मुख्य सलाहकार समिति के भी चेयरमैन बने. अगस्त 2011 में, चेयरमैन के पद पर रहते हुए वे कंपनी से सेवानिर्वृत्त हो गये. उसके बाद उन्होंने फिर से वर्ष 2013 में कार्यकारी अध्यक्ष और अतिरिक्त निर्देशक के रूप में Infosys Consultent PVT. LTD वापसी की और फिर 14 जून 2014 को इस पद को फिर से हमेशा के लिए छोड़ दिया |
Post a Comment